मानवता बना मिशाल,विछिप्त को मिलाया परिवार से
आज भी मानवता देखने को मिल रहा है। लोगो का जब एक दूसरे से विश्वास टूट जाता है। तो लोग एक दूसरे को नीचा दिखने व उसका नुकशान करने की ठान लेते है। परंतु इन सब चीज़ो से ऊपर उठकर प्रखंड के महुगाई गाँव निवासी मिथिलेश सिंह ने एक मिशाल पेश की है। सिंह ने उड़ीसा राज्य के बालासोर जिला के कल्याणपुर गाँव के 35 वर्षीय निवासी गौतम जेना पिता लक्ष्मण जेना को लगभग दो माह के बाद उसके परिवार वालों से मिलाने का कार्य किया है। सिंह ने बताया जून माह में चौपारण जीटी रोड पर एक विछिप्त को भूख से तड़पते व लावारिश हालात में सड़क के किनारे देखा था। विछिप्त भूख के मारे दुकानों व होटलों में घूम घूमकर खाने के लिए कुछ मांग रहा था। परंतु किसी ने विछिप्त युवक को खाने को नहीं दिया। वही पास बैठे मिथलेश से विछिप्त की भूख देखी नहीं गयी। उसने होटल के मालिक को उस विछिप्त को खाना देने को कहा। खाना खिलाने के बाद मिथलेश सिंह ने उससे उसका नाम व पता पूछा। विछिप्त के बताए पता से कुछ भी मालूम नहीं हुआ। मिथलेश ने उस विछिप्त को अपने घर चलने की बात कही। जहाँ विछिप्त युवक मिथलेश के घर जाने को राजी को गया। मिथिलेश ने घर पहुँचने के बाद विछिप्त युवक को स्नान करा कर साफ़ कपडे पहनने को दिया। कुछ दिन बीतने के बाद मिथलेश सिंह ने विछिप्त युवक से उसके घर का पता जानने की कोशिश की। विछिप्त युवक पुरे परिवार में घुल मिल गया। घर वालों ने युवक से उसका पता पूछा। जहाँ युवक ने अपने गाँव व राज्य का नाम बताया। सिंह ने इंटरनेट के माध्यम से उड़ीसा पुलिस से संपर्क कर पुलिस को युवक के गाँव का नाम बताया। जहाँ उड़ीसा पुलिस ने युवक के गाँव व उसके परिजन का बताया खोज निकाला। सिंह ने बिना देरी किए उसके घर वालो से युवक को फ़ोन पर बात कराई। वही युवक के पिता से भी संपर्क किया। जानकारी के अनुसार युवक के पिता कोलकता कोर्ट में जज के चालक का काम करते है। पिता को जैसे ही अपने पुत्र की जानकरी मिली पिता ख़ुशी से फुले नहीं समाए। उन्होंने बिना समय गवाए प्रखंड के महुगाई गाँव निवासी मिथलेश सिंह के घर पहुँचकर अपने पुत्र को गले लगा लिया। जिसे देख पूरा गाँव ख़ुशी से झूम उठा। सभी ने मिथेलश सिंह की खूब प्रसंसा की। वही युवक के पिता ने हाथ जोड़कर सिंह के अहसानों को कभी नहीं चुका पाने की बात कही। सिंह के घरवालों ने पिता व पुत्र को शनिवार को ख़ुशी ख़ुशी उसके घर जाने को लेकर विदा किया।
----------आकाश सिंह, मयूरहंड
आज भी मानवता देखने को मिल रहा है। लोगो का जब एक दूसरे से विश्वास टूट जाता है। तो लोग एक दूसरे को नीचा दिखने व उसका नुकशान करने की ठान लेते है। परंतु इन सब चीज़ो से ऊपर उठकर प्रखंड के महुगाई गाँव निवासी मिथिलेश सिंह ने एक मिशाल पेश की है। सिंह ने उड़ीसा राज्य के बालासोर जिला के कल्याणपुर गाँव के 35 वर्षीय निवासी गौतम जेना पिता लक्ष्मण जेना को लगभग दो माह के बाद उसके परिवार वालों से मिलाने का कार्य किया है। सिंह ने बताया जून माह में चौपारण जीटी रोड पर एक विछिप्त को भूख से तड़पते व लावारिश हालात में सड़क के किनारे देखा था। विछिप्त भूख के मारे दुकानों व होटलों में घूम घूमकर खाने के लिए कुछ मांग रहा था। परंतु किसी ने विछिप्त युवक को खाने को नहीं दिया। वही पास बैठे मिथलेश से विछिप्त की भूख देखी नहीं गयी। उसने होटल के मालिक को उस विछिप्त को खाना देने को कहा। खाना खिलाने के बाद मिथलेश सिंह ने उससे उसका नाम व पता पूछा। विछिप्त के बताए पता से कुछ भी मालूम नहीं हुआ। मिथलेश ने उस विछिप्त को अपने घर चलने की बात कही। जहाँ विछिप्त युवक मिथलेश के घर जाने को राजी को गया। मिथिलेश ने घर पहुँचने के बाद विछिप्त युवक को स्नान करा कर साफ़ कपडे पहनने को दिया। कुछ दिन बीतने के बाद मिथलेश सिंह ने विछिप्त युवक से उसके घर का पता जानने की कोशिश की। विछिप्त युवक पुरे परिवार में घुल मिल गया। घर वालों ने युवक से उसका पता पूछा। जहाँ युवक ने अपने गाँव व राज्य का नाम बताया। सिंह ने इंटरनेट के माध्यम से उड़ीसा पुलिस से संपर्क कर पुलिस को युवक के गाँव का नाम बताया। जहाँ उड़ीसा पुलिस ने युवक के गाँव व उसके परिजन का बताया खोज निकाला। सिंह ने बिना देरी किए उसके घर वालो से युवक को फ़ोन पर बात कराई। वही युवक के पिता से भी संपर्क किया। जानकारी के अनुसार युवक के पिता कोलकता कोर्ट में जज के चालक का काम करते है। पिता को जैसे ही अपने पुत्र की जानकरी मिली पिता ख़ुशी से फुले नहीं समाए। उन्होंने बिना समय गवाए प्रखंड के महुगाई गाँव निवासी मिथलेश सिंह के घर पहुँचकर अपने पुत्र को गले लगा लिया। जिसे देख पूरा गाँव ख़ुशी से झूम उठा। सभी ने मिथेलश सिंह की खूब प्रसंसा की। वही युवक के पिता ने हाथ जोड़कर सिंह के अहसानों को कभी नहीं चुका पाने की बात कही। सिंह के घरवालों ने पिता व पुत्र को शनिवार को ख़ुशी ख़ुशी उसके घर जाने को लेकर विदा किया।
----------आकाश सिंह, मयूरहंड